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वादा किया हैं किसी को सदा मुस्कुराने का


दिल जीत ले वो जीगर हम भी रखते हैं,
        कातिल कर दे वो नजर हम भी रखते हैं,
                वादा किया हैं किसी को सदा मुस्कुराने का,
                                 वरना आंखो में समंदर हम भी रखते हैं!!!

रख दूँ तुम्हारे पहलू में

कई बार यूँ भी हुआ है कि
बेतरतीब से लफ्जों को समेट कर
तुम्हारे पहलू में रख दिया है मैंने
और पाई है
एक मुक़म्मल नज़्म
काश यूँ भी हो कि
एक बार
खुद को समेटकर
रख दूँ तुम्हारे पहलू में...

मोहब्बत का इरादा अब बदल जाना भी मुश्किल है

मोहब्बत का इरादा अब बदल जाना भी मुश्किल है,
तुझे खोना भी मुश्किल है, तुझे पाना भी मुश्किल है.
जरा सी बात पर आंखें भिगो के बैठ जाते हो,
तुझे अब अपने दिल का हाल बताना भी मुश्किल है,
उदासी तेरे चेहरे पे गवारा भी नहीं लेकिन,
तेरी खातिर सितारे तोड़ कर लाना भी मुश्किल है,
यहाँ लोगों ने खुद पे परदे इतने डाल रखे हैं,
किस के दिल में क्या है नज़र आना भी मुश्किल है,
तुझे ज़िन्दगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली,
पर एक पल के लिए तुझे भुलाना भी मुश्किल है.

यादों में जो बसता है(yadoon mein jo bastaa hai )

यादों में जो बसता है
उसका नाम जुबां से बयां कहां होता है।

दिलबर नजर से हो कितना भी दूर
उसके पास होने का हमेशा अहसास होता है

आंखों में बसा दिखता है यह पूरा जमाना
पर ख्याल में जो बसा, वही दिल के पास होता है। 

कोई तुझे प्यार करे तो क्यूँ ना करे(koi tujhe pyar karein to kyoun naa karein )


कोई तुझे प्यार करे तो क्यूँ ना करे
ताजमहल के संगमरमर जैसा तेरा तन
चाँद की उजली चाँदनी मे नहाया तेरा मन
कोई तुझे प्यार करे तो क्यूँ ना करे
तू प्यारी बेटी अपनी माँ की
करती उनको खुदा से बढ़कर प्यार
तू है एक अच्छी माँ अपने बच्चों की
देती उनको खूब सारा दुलार
कोई तुझे प्यार करे तो क्यूँ ना करे
तू है सीधी सच्ची सरल
झरने के जल जैसी निर्मल
तुझे कोई प्यार करे तो क्यूँ ना करे
तेरे जैसी जीवन संगिनी मुझे मिली
मेरी हर खुशी तेरे जीवन से मुझे मिली

कोई तुझे प्यार करे तो क्यूँ ना करे !!

जिनके लिए हम यहाँ ख़ुद को जला रहे है (jinke liye hum yahan khud ko jala rahe hai)

जिनके लिए हम यहाँ ख़ुद को जला रहे है,
वो दूर हमसे कहीं खुशियाँ मना रहे है,
जिनकी जुदाई हमारे जान पे बन आई,
वो अपनी ज़िन्दगी सजा रहे है।

तू जहाँ तक कहे (tu jahan tak kahe)

तू जहाँ तक कहे उम्मीद वहाँ तक रक्खूँ,
पर, हवाओं पे घरौंदे मैं कहाँ तक रक्खूँ ।

दिल की वादी से ख़िज़ाओं का अजब रिश्ता है,
फूल ताज़ा तेरी यादों के कहाँ तक रक्खूँ । 

ख़ामोश रास्तों पे नई दास्ताँ लिखूँ,
तन्हा चलूँ सफ़र में मगर कारवाँ लिखूँ ।

ऊँचाईयों की नब्ज़ पे रख के मैं उंगलियाँ
तेरी हथेलियों पे कई आस्माँ लिखूँ ।

चलो आज फिर एक ग़लती कर के देखते हैं(chalo aaj phir ek galati kar ke dekhte hai)

चलो आज फिर एक ग़लती कर के देखते हैं
आज फिर उनसे मोहब्बत करके देखते हैं

उनके दिल मैं चाहत है या नही
आज फिर उन से मुलाक़ात करके देखते हैं

भरी महफ़िल मैं उढ़ा दी उंगली मेरी तरफ़
आज उन का हर इल्ज़ाम सह कर भी देखते हैं

कितनी बदल गई है वो मुछसे दूर रह कर
आज उस की महफ़िल मैं जा कर देखते हैं

दुआ से हर चीज़ मिलती है खुदा से
आज फिर तुछे उस खुदा से माँग कर देखते हैं

वो जो इस दिल मैं है पर मेरी नही
आज ये बात इस दिल को समझा कर देखते हैं

चलो आज फिर एक ग़लती कर के देखते हैं

कोई मेरे दिल में रहता है...

जब रात के तनहा लम्हों में,
कोई आहट मुझ से कहती है,

इस दिल में हलचल रहती है,
कोई जुगनू पास से गुजरे तो,

कोई बात गले से निकले तो,
मैं खुद से उलझने लगता हूं,

फिर जाने क्या-क्या कहता हूं,
फिर याद उसी की आती है,

फिर पल दो पल के लम्हें को,
ये सांस मेरी रूक जाती है,

फिर वहम मुझे ये कहता है,
कोई मेरे दिल में रहता है,

कोई मेरे दिल में रहता है.......

अभी बाकीं है(Abhi bakin hai)

न दफनाओ मुझको कि सीने में कुछ साँस अभी बाकीं है
आँखे बंद है मगर दिल में कुछ ख्वाब अभी बाकीं है

मैं कैसे मान लूँ कि तुम मुझे प्यार नही करती
जुबाँ कह चुकी मगर आँखो का एक जवाब अभी बाकीं है

तुम जा रही हो ज़रा कुछ पल और ठहर जाओ
रिश्ता तोड़ने की रस्में, आंसूओ का एक रिवाज़ अभी बाकीं है

सीने में छिपी हर बात को, लब तो कह नही सकते
तुम दिल से सुनो, धडकनों की एक आवाज़ अभी बाकीं है

वो मेरा कत्ल करके टटोलते है मेरी रूहों को
मरने के बाद भी शायद एक और हिसाब अभी बाकीं है

पास आने से आज उनके “ग़ज़ल” सुहानी हो गई (pass aane se aaj unke gazal suhaani ho gai)

होठों से लगाकर पीना, बात कुछ पुरानी हो गई
आँखों से पिला कर देख, आज रुत मस्तानी हो गई

वोह पीते है शराब महेफिल-ऐ-यार जमा कर
हमने चोरी से पिया एक जाम तो बेइमानी हो गई

युंह तो करते है वो हरदम कुछ नई शरारत
हम जो एक बार उनसे रूठे तो नादानी हो गई

वोह करते है इज़हार-ऐ-प्यार इस कदर जहाँ मैं
हमे पता भी न चला और एक कहानी हो गई

उन के खयालो से महेकता है हर-रोज़ यह समां,
पास आने से आज उनके “ग़ज़ल” रूमानी हो गई...

पास आने से आज उनके “ग़ज़ल” सुहानी हो गई (pass aane se aaj unke gazal suhaani ho gai)

होठों से लगाकर पीना, बात कुछ पुरानी हो गई
आँखों से पिला कर देख, आज रुत मस्तानी हो गई

वोह पीते है शराब महेफिल-ऐ-यार जमा कर
हमने चोरी से पिया एक जाम तो बेइमानी हो गई

युंह तो करते है वो हरदम कुछ नई शरारत
हम जो एक बार उनसे रूठे तो नादानी हो गई

वोह करते है इज़हार-ऐ-प्यार इस कदर जहाँ मैं
हमे पता भी न चला और एक कहानी हो गई

उन के खयालो से महेकता है हर-रोज़ यह समां,
पास आने से आज उनके “ग़ज़ल” रूमानी हो गई...

क्या हुआ गर हम अकेले हैं खुदा का साथ तो है(kya huwa gar hum akele hai to )

क्या हुआ गर हम अकेले हैं खुदा का साथ तो है,
क्या हुआ गर हम अकेले हैं माँ की दुआ का साथ तो है |
चेतना बन दौड़ता जो रक्त अपनी शिराओं में,
उस पिता की उँगलिओं के स्पर्श का अहसास तो है ।

साथ में है सरज़मीं, आबोहवा भी साथ तो है,
साथ में हैं अग्नि-जल, आसमां भी साथ तो है |
साथ में सूरज भी है ,साथ में है चाँद, तारे,
पंच तत्व से यह निर्मित साँसों का वरदान तो है ।

साथ हैं वैदिक रिचाएँ, साथ पूजा- अर्चनाएँ,
नौ-शक्ति की पूजा करें अरु दीप गंगा में बहाएँ |
शव-शिवं के द्वंद्व से सत्य का परिचय कराएँ,
दिग-दिगन्त में प्रतिध्वनित जो प्रेम का प्रतिभास तो है।

आज दिल की हर बात कही तो तेरा ज़िक्र आया (aaj dil ki har baat kahi to tera jikr aaya )

आज दिल की हर बात कही तो तेरा ज़िक्र आया 
गुजरी मोहोब्बत का हर लम्हा याद आया 

हुई मुददत आज तक मुझमे कुछ नहीं बदला,
मेरे ख्याल में तेरी अदाओं पर नया रंग आया..

तेरी यादों की आहट को बटोरने मे जुटा हूँ..
बस तेरा करम है एह जो खुद को ना साम्झापाया....

''ललित" जिंदगी में अब और क्या रखा,
एक ख्याल तक न उसको तेरा आया ....

जी रहा हूँ बस इसी सोच में डूब कर ,
वादा किया था उसने,फिर क्योँ नहीं आयी......

आज दिल की हर बात कही तो तेरा ज़िक्र आया,
गुजरी मोहब्बत का हर लम्हा याद आया .......

थाम के हाथ मेरा जिन्दगी भर साथ चले (tham ke haath mere zindagi bhar saath chale)

थाम के हाथ मेरा जिन्दगी भर साथ चले,
जैसे चाँद के संग चांदनी हर रात चले !
लगे हर रोज सुबह मुझको वो पगली सी,
बने जो मेरी दीवानी हर शाम ढले !

करे मुझ से ही शिकायत मेरी शेतानी पे,
रूठे खुद से खुद की नादानी पे !
हँस के करदे रोशन मेरे दिल का हर कोना,
रहे बेचेन मेरी एक परेशानी पे !
काटू जिंदगी उसकी पलको के तले !

थाम के हाथ मेरा जिन्दगी भर साथ चले !

रो देता हूँ अब महफिलों में अक्सर (Ro deta hoon ab mehphilon mein akshar)

मुझसे शायद कोई खता सी हो गई है,
खुशियाँ मेरी मुझसे खफा सी हो गई है।

जज़्बात भी साथ देते नहीं आज कल,
क्या ख़बर बहुत बड़ी भूल सी हो गई है।

रो देता हूँ अब महफिलों में भी अक्सर,
गम में डूब जाने की आदत सी हो गई है।

झूठे वादे ही मिले है अब तक मुझे,
हकीक़त तो ग़लत फ़हमी सी हो गई है।

दिलासे भी मिले मुफ्त में कई मुझे,
दुआ भी सब दिखावे सी हो गई है।

कोई रिश्ता न रहा यहाँ अब रिश्तों में,
साथ निभाने की बात बेमानी सी हो गई है।

मौत मिलती भी है तो यहाँ किश्तों में,
ज़िन्दगी किसी 'हादसे' की निशानी सी हो गई है।

असफलता घेरे तुझे मार्ग हो अबरुद्ध.


असफलता घेरे तुझे, मार्ग हो अबरुद्ध,
पास ना हो धन तेरे, और काम हो अपार..,
भाग मत कर प्रयास,
चाहे तू हँस तू किंतु आँखें हो नम,
भाग मत कर प्रयास,
रात ही दिन हैं,निकलेगा फिर सूरज, 
दूर क्षितिज अपार,
भाग मत कर प्रयास,
पीड़ा ही सुख हैं, सुख हैं पीड़ा,
 हार ही जीत हैं,जीत ही हार,
भाग मत कर प्रयास,
कर प्रयास, भाग मत..

लेकिन इजहार से डरती है

पागल सी एक लड़की है
हर पल वो मुझको तकती है
आंख में उसकी मस्ती है
वो बात-बात पर हंसती है
हर रोज वो रूप बदलती है
हर रूप में अच्छी लगती है
इस दिल में आग भड़काती है
जब मेरी तरफ वो बढ़ती है
दीदार को आंख तरस्ती है
फुर्सत में आंख बरसती है
वो जब भी मुझसे मिलती है
ये जालिम दुनिया जलती है
प्यार वो मुझसे करती है
लेकिन इजहार से डरती है...

मज़ा मिलता है उनको दूसरों का दिल दुखाने में (mazza milta hai unko dusare ko dil......)

सता लें हमको, दिलचस्पी जो है उनकी सताने में
हमारा क्या वो हो जाएंगे रुस्वा ख़ुद ज़माने में

लड़ाएगी मेरी तदबीर अब तक़दीर से पंजा
नतीजा चाहे जो कुछ हो मुक़द्दर आज़माने में

जिसे भी देखिए है गर्दिशे हालात से नाला
सुकूने दिल नहीं हासिल किसी को इस ज़माने में

वो गुलचीं हो कि बिजली सबकी आखों में खटकते हैं
यही दो चार तिनके जो हैं मेरे आशियाने में

है कुछ लोगों की ख़सलत नौए इंसां की दिल आज़ारी
मज़ा मिलता है उनको दूसरों का दिल दुखाने में

अजब दस्तूर ए-दुनिया- ये मोहब्बत है,अरे तौबा
कोई रोने में है मश़ग़ूल कोई मुस्कुराने में

पतंगों को जला कर शमए-महफिल सबको ऐ 'बर्क़ी'!
दिखाने के लिए मसरूफ़ है आँसू बहाने में.....

बचपन में.......


कितना आसान लगता था 
ख़्वाब में नए रंग भरना 
आसमाँ मुट्ठी में करना 
ख़ुश्बू से आँगन सजाना 
बरसात में छत पर नहाना 

कितना आसान लगता था

दौड़ कर तितली पकड़ना
हर बात पर ज़िद में झगड़ना
झील में नए गुल खिलाना 
कश्तियों में, पार जाना 

कितना आसान लगता था 

जिन्दगी में पर हक़ीक़त 
ख़्वाब सी बिलकुल नहीं है 
जिन्दगी समझौता है इक
कोई जिद चलती नहीं है

जिन्दगी में पर हक़ीक़त 
ख़्वाब सी बिलकुल नहीं है

पर तुम ही न आये......


जब पूरे चाँद की आधी रात थी 
मैं तुझको बुलाता रहा खुद को रुलाता रहा 
देख तड़प वह मेरी चांदनी छुप गयी 
पर तुम ही न आये .

जब सावन की पहली बरसात थी 
मैं तुझको बुलाता रहा खुद को रुलाता रहा 
देख कर आंसूं वह मेरे बारिश भी रोने लगी 
पर तुम ही न आये .

जब जाड़ों की ठिठुरती भोर थी 
मैं तुझको बुलाता रहा खुद को रुलाता रहा 
देख गम वह मेरा ओस भी पिघलने लगी 
पर तुम ही न आये .

जब गर्मियों की सुरमई शाम थी 
मैं तुझको बुलाता रहा खुद को रुलाता रहा 
देख जलन मेरे दिल की सूरज भी जलने लगा 
पर तुम ही न आये .

संग कोई नहीं था आंसू का सैलाब था 
मैं तुझको बुलाता रहा खुद को रुलाता रहा 
आंसूं बहते रहे जुबां चुप ही रही 
पर तुम ही न आये .

मैं सोचता रहा 
खुद से पूछता रहा 
सवाल कितने किये जवाब एक न मिला 
मैं तुझको बुलाता रहा खुद को रुलाता रहा 
पर तुम ही न आये 
क्या कभी आओगे तुम...?

जिन्दगी की राहों में


जब भी दिल उदास होता है, तेरे पास चला आता हूँ मैं
बहाने से छूकर तेरा हाथ, अपना ही दर्द सहलाता हूँ मैं

बस एक तुम होते हो साथ मेरे, तो तन्हाई साथ नहीं होती
यूँ भीड़ में खुद को कुछ ज्यादा ही तन्हा पाता हूँ मैं

तुम्हारे रंजो-ग़म पर कुछ तो आखिर हक हो मेरा
कि अपने दिल को तेरे दर्द का लिबास पहनाता हूँ मैं

दोस्त, अपने अह्सासे-दर्द से मुझे महरूम न कर
ये वही दर्द है जिससे अपना दिल बहलाता हूँ मैं....!!

तुम्हे पाकर


अधूरापन ख़तम हो जाता है,
तुम्हे पाकर....
दिल का हर तार गुनगुनाता है,
तुम्हे पाकर...
गम जाने किधर जाता है,
तुम्हे पाकर....
सब शिकवे दूर हो जाते है,
तुम्हे पाकर....
जानता हू चंद पलो का खेल है ये..
अफ़सोस नही रहता बाकी,
तुम्हे पाकर..
राह तकती, ये लम्बी पगड़ंड़िया ..
थक कर भी चैन पाती है आंखे,
तुम्हें पाकर..
तमाम मायुसिया छुप जाती है..
जिंदा लाश मानो उठ जाती है,
तुम्हे पाकर..
'तन्हा' मरना जीना सब भूल जाती है,
तुम्हारी बाहों में आकर..
बस तुम्हें पाकर.......

मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो


तुम्हारी याद आने पर आँसू टूट जाते है
उन्हें मैं हथेलियों पर समेट लेता हूँ
और जो अटक जाते हैं होंटों पर
तो मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो !
सुबह-सुबह ठंडी हवा का झोंका 
मुझे चुपके से आकर छूता है
और उसमें जो सबसे तेज़ झोंका हो 
तो मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो !
बिछड़ने के बाद से ही तुम्हारी याद आती है 
तुम्हारी याद में जब मेरा दिल रोता है
रोते-रोते जो ज़ोर की हिचकी आती है 
तो मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो !

ख्वाहिशें होंगी दिल की पूरी, आश मत देखो


बाकी है बोतल में अभी भी शराब,महताब मत देखो
उसके और खुद के दरमियां का हिसाब मत देखो

सफ़र जिंदगी का तय करना है तुमको अकेले ही
किस–किस का मिला ना साथ,पलट कर मत देखो

जहाँ फ़िसलती जा रही है, जीवन से जिंदगी
रेत– सी फ़कीरे इश्क की, जात मत देखो

बेरहम जमाना जिल्लत के सिवा तुमको दिया ही
क्या और तुमसे लिया क्या, इतिहास मत देखो

बदलना है तुमको कर्मों से तकदीर अपनी
तनहा बैठकर अकेले में, लकीरें हाथ मत देखो

आग तो दिल में लिए सभी घूमते हैं, किसने
लगाई यह आग, कौन हुआ खाक, मत देखो

शामे गम है,कुछ उस निगाहें–नाज की बात, करो
ख्वाहिशें होंगी दिल की पूरी, आश मत देखो..!!

♥♥♥ HAPPY HOLI 2012 ♥♥♥


आसमां झुक के धरा से सदा ही कहता ये,
राधा बिन होली कैसी श्याम यही समझाये।

प्रेम के रंग बिना रंग सभी फीके हैं,
जिसको मिल जाए ये वो मालामाल हो जाए ॥

न हो जहां बैर-भाव ऎसे मीत पाएं सब,
दिल में खिलें गुलाब ऎसी प्रीत पा जाए ॥

नाचे मीरा सी कोई, कोई पुजारिन राधा,
और गिरिराज भी घनश्याम स्वयं बन जाए ॥

कृष्ण की बंशी बजे गोपियों की थिरकन हो,
यहीं गोकुल यहीं पे विन्दावन बन जाए ॥

आओ सब मिलकर रंगों में डूब जाएं हम
प्रेम ही प्रेम हो बस प्रेम ही बरसा जाएं

♥♥♥ HAPPY HOLI 2012 ♥♥♥ ♥♥♥ HAPPY HOLI 2012 ♥♥♥

तुम खुशबु हो खुशबु को कैसे गिरफ्तार करूँ मै (tum khushboo ho khushboo ko kaise giraftaar karun main)


तुम मोहब्बत हो मोहब्बत का कैसे इजहार करूँ मै
तुम खुशबु हो खुशबु को कैसे गिरफ्तार करूँ मै ॥

सांसो में बस गई हो सरगम की तरह जानम
दिल में उतर गयी हो धड़कन की तरह जानम ॥

सांसो की डोर तोड़कर जीवन का सीसे वहिष्कार करूँ मै
धड़कन के शोर से डरकर दिलका कैसे तिरस्कार करूँ मै ॥

तुम खुशबु हो खुशबु को कैसे गिरफ्तार करूँ मै
पलकों पे बस गई हो तुम ख्वाब की तरह ॥

होटों पे सज गयी हो तुम गुलाब की तरह
सपनो को भुलाकर खुमारी का कैसे एतबार करूँ में ॥

रंगीनियों को छोड़कर खुशिया का कैसे व्यापर करूँ मै
तुम खुशबु हो खुशबु को कैसे गिरफ्तार करूँ मै ॥

तुम्हारा प्यार चाहिये मुझे जीने के लिये (tumhara pyar chahiye mujhe jeene ke liye)

!!प्यार चाहिये मुझे जीने के लिये
मुझ को हर घड़ी दीदार चाहिये
तुम्हारा प्यार चाहिये मुझे जीने के लिये
मेरे सिवा तुम और किसी को, दिल में न आने दोगी
फूलों की तो बात ही क्या है, काँटों के साथ चलोगी
तुम्हारा प्यार चाहिये मुझे जीने के लिये
दिन रात वफ़ा का इक़रार चाहिये
तुम्हारा प्यार चाहिये मुझे जीने के लिये

रूप रँग पे मरता आया, सदियों से यह ज़माना
मैं मन की सुंदरता देखूँ, प्यार का मैं दीवाना
तुम्हारा प्यार चाहिये मुझे जीने के लिये
तूफ़ां में बाहों की पतवार चाहिये
तुम्हारा प्यार चाहिये मुझे जीने के लिये !!

कभी जुदा ना करे गर्दिशे जमाना (kabhi juda naa karein gardishein zamaana)

एक हंसीन ख्वाब बना कर तुम
मुझे हर पल अपनी निगाहों में रखना
छू ना सके मुझे ये हवाऐं बहकी सी
मुझे कैद अपनी पनाहों में रखना
मैं खाक हूं बिखर ना जाऊं कहीं
मुझे समेट कर अपनी बाहों में रखना
जो करो तुम मोहब्बत हदों से गुजर कर
मेरा नाम तुम अपनी खताओं में रखना
मैं करता हूं अहसास तुम्हारा

तुम भी मुझे याद अपनी दुआओं में करना
कभी जुदा ना करे गर्दिशे जमाना

आप सभी को होली पर्ब की ढेर सारे सुभकामनाएँ !!!

कटने को अकेले भी तो कट रही थी जिन्दगी (katne ko akele bhi kat rahi thi zindagi)

कटने को अकेले भी तो कट रही थी जिन्दगी,
हर उम्मीद मर चुकी थी हर तमन्ना दफन थी,


बेशक कोई खुशी ना थी, लेकिन कोई गम भी ना था,
जब तक ना तुम मुझसे मिली, मै मिला तुम से ना था,


तुम से क्या मिला कि हर उम्मीद जिन्दा हो गई,
सोच मेरी फिर से इक उडता परिन्दा हो गई,


सोये सब अरमान मेरे इक ही पल में जग गये,
हर दबी उमंग को फिर पंख जैसे लग गये,


मेरी उम्मीदें मेरी उमगें मेरी तमन्ना मेरे अरमा,
थे भर रहे ऊँची उड़ान कम पड़ रहा था आसमाँ,


मस्त हो कर उड़ रहे थे सब खुले आकाश में,
कुछ तथ दूर दूर तो कुछ थे पास पास मे,


क्या हसीन नजारा था सारा गगन हमारा था,
तुझको दिखाने के लिये मैने तुझे पुकारा था,


बस एक नजर डाली थी तुम ने उस भरे आकाश पे,
मेरी तमन्ना मेरी उम्मीदों और मेरे विश्वास पे,


फिर घायल पंक्षी की तरह सब नीचें को गिरने लगे,
कुछ तडफडाते गिर पडे कुछ गिरते ही मरने लगे,


देखते ही देखते आकाश खाली हो गया,
मानों किसी गरीब की रोटी की थाली हो गया,


पर ना जाने क्यों तुम अब भी मुस्कराती जा रही थी,
शायद अपनी करनी पे तुम बहुत इतरा रही थी,


अलविदा अलविदा कह दूर होती जा रही थी,
फिर ना मिलने की हिदायत मुझ को देती जा रही थी,


यूँ लगा, लगने से पहले खत्म हो गया मेला,
तेरा साथ पाने की चाह में मैं और अकेला हो गया...


काश वो नजारा मैने तुम को दिखलाया ना होता,
तुम मेरी होती ना होती पर यूँ तेरा गम भी ना होता..

चलते चलते....... (chalte chalte )

लिखने से पहले सलाम करते है,
दर्द इस दिल से पैगाम करते हैं,
 
ये मत समझना के भूल गए है हम,
याद तोः आपको हम सुबह शाम करते है ।
 
नाराज़ होकर जिंदगी से नाता नही तोड़ते,
मुश्किल हो राह फ़िर भी मंजिल नही छोड़ते,
 
तनहा ना समझना खुदको कभी,
हम उनमे से है, जो कभी साथ नही छोड़ ते ।
 
बरसात की हर बूँद मे समाये हो तुम,
हर दिल मे ख़ास जगह बनाये हो तुम ,
 
यूँ तोह हमदर्द की कमी नही,
पर ना जाने आज बहुत याद आ रहे हो तुम ।
 
एक फूल अजीब था,
कभी हमारे भी बहुत करीब था,
 
जब हम चाहने लगे उसे,
तो पता चला वो किसी दूसरे का नसीब था ।
 
सबको प्यार देने की आदत है हमें,
अपनी अलग पहचान बनने की आदत है हमें
 
कितना भी ज़ख्म दे हमें कोई,
उतना ही मुस्कराने की आदत है हमें ।

अब तक आबाद है मेरी रूह ए-मोहब्बत (ab tak aabaad hai meri rooh e-mohbbat)

                                
अब तक आबाद है मेरी रूह ए-मोहब्बत दिल में उनके,


मैं गुल नहीं पर प्यार में उनके गुलज़ार सा लागू..
हो कर आबाद जहान में मैं अब उनके सिंगार सा लगू...


क्या खूब बिता है जिन्दगी का सफर प्यार प्यार में उनके...
कबर में अपनी मैं एक जलते चिराग सा लगू............


अब तक आबाद है मेरी रूह ए-मोहब्बत दिल में उनके...
मैं जिन्दा नहीं हूं पर आँखों में उनके......

Umar Qaid Hogi Kya Hai Faisla Adalat Ka by:-Lalitsaah sabaila bazar

मोहब्बत रूठ जाएँ तो उसे जल्दी मना ले लेना (Mohbbat Rooth Jayein To Use Zaldi Mana Le Lena )

मोहब्बत रूठ जाए तो..
उसे बाहों में ले लेना..


बहुत हि पास कर के तुम..
उसे जाने नहीं देना...


वो दामन भी चुराए तो...
उसे तुम क़सम दे देना..


दिलों के मामलों में तो...
खताएं हो हि जाती है...


मगर तुम इन खताओं को..
बहाना मत बना लेना....


मोहब्बत रूठ जाएँ तो,
उसे जल्दी मना ले लेना......


!! ♥ GOÐ BLÉSS YÓÚ ♥ !!

लेकर हाथों में हाथ उसका

"वह कहती है कि मेरा हाथ 
हाथो में लेकर सहलाते क्यूँ हो 
मै मौन हो जाता हूँ 
हाथों को हाथ में पकड़ मुस्कुराता हूँ 
कैसे समझाउं, मै कह नहीं पाता


सुबह से चकले बेलन में उलझी
बर्तन चमकाती हथेलियाँ
चौक पेन पकड़ ब्लैक बोर्ड और
कापियां रंगती उंगलियाँ 
थक तो जाती होंगी


बच्चों को निवाला खिलाते खिलाते
प्यार से झूठी होती उंगलियाँ 
घर की सफाई में 
गमलों कि गुड़ाई में
मैली और थकान से भारी होती हथेलियाँ


रात में फिर रसोई में उलझ जाती हैं 
मुझे रोटी देते हुए मुस्कराती उंगलियाँ 
ये सब निभाते हुए तुम्हारे हाथ थक जाते होंगे 


लेकर हाथों में हाथ उसका
मै अपना क़र्ज़ उतारता हूँ 
पर शब्दों में यह सब कह नहीं पाता
बस यूँ ही वह पूछती रहती है
और मै हाथों में हाथ लिए मुस्कराता हूँ 
बस प्यार और प्यार से सहलाता हूँ"

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, 
धज्जी-धज्जी रात मिली। 
जिसका जितना आंचल था, 
उतनी ही सौग़ात मिली।। 
जब चाहा दिल को समझें, 
हंसने की आवाज़ सुनी। 
जैसे कोई कहता हो, लो 
फिर तुमको अब मात मिली।। 
बातें कैसी ? घातें क्या ? 
चलते रहना आठ पहर। 
दिल-सा साथी जब पाया, 
बेचैनी भी साथ मिली।।

हमें कोई गम नहीं था गम ऐ-आशिकी से पहले.

हमें कोई गम नहीं था गम ऐ-आशिकी से पहले,
ना था दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले..

है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कसूर इस में,
तेरे गम ने मार डाला मुझे जिन्दगी से पहले,

मेरा प्यार जल रहा है अै चाँद आज छुप जा..
किसी से प्यार था हमें भी तेरी चाँदनी से पहले..

मैं कभी ना मुस्कुराता जो मुझे ये मालूम होता,
के हजारों गम मिलेंगे मुझे एक खुसी से पहले..

ये अजीब इम्तिहान है के तुम्ही को भूलना है,
मिले कब थे इस तरह हम तुम्हे बे-दिली से पहले..

हमें कोई गम नहीं था गम ऐ-आशिकी से पहले....!!!

तन्हा है मेरा हाथ तेरा हाथ चाहिए

खामोश रहूँ मैं, तेरा साथ चाहिए,
तन्हा है मेरा हाथ तेरा हाथ चाहिए,


मुझको मेरे मुकद्दर पर इतना येकीन तो है,
तूझको भी मेरे लफ्ज़ मेरी बात चाहिए,


मैं खुद अपनी शायरी को क्यों अच्छा कहूँ,
मुझको तेरी तारीफ तेरी दाद चाहिए,


एहसाश ऐ-मोहब्बत तेरे वास्ते है लेकिन,
जूनून ऐ-इक्स को तेरी सौगात चाहिए,


तू मुझको पाने की खोवाहिश रखती है,
मुझको जीने के लिए तेरी मुलाकात चाहिए,

मेरी हर एक धड़कन आप के लिए है

मेरी हर एक धड़कन आप के लिए है 
मेरी हर एक  मुस्कुराहट आप के लिए है 
आप के अदा  मेरे  दिलको  चुराने  के लिए है 
अब  तोह  मेरी  ये ज़िन्दगी भी आप के लिए है


जैसे सूखे गुलाब मिलते है किताबों में!!



सालों बाद नजाने क्या समां होगा 
हम सब दोस्तों में  से  नजाने कौन  कहाँ होगा 
फिर मिलना हुआ तो मिलेंगे खवाबो में 
जैसे सूखे गुलाब मिलते हें किताबों मैं...





कुछ तुम भी दुआ करों यारों !!

हर यादों में उसी की याद रहती  है,
मेरी आँखों को उसी की तलाश रहती है,
कुछ तुम भी दुआ करो यारों,
सुना है दोस्तों की दुआ में 
फरिश्तो की फरियाद होती है…

ये कम्बक्त मोहब्बत

बड़ी आसानी से दिल लगाये जाते है,
पर बड़ी से वादे निभाए जाते हैं..


ले जाती है मोहब्बत उन राहो पर,
जहाँ दिए नहीं दिल जलाये जाते है... 


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कभी आशूं कभी खुसबू (kabhi aashon kabhi khushboo )

कभी आशूं कभी खुसबू कभी नग्मा बनकर
हमसे हर शाम मिली है तेरा चेहरा बनकर 

चाँद निकला है तेरी आँखों के आशूं की तरह,
फूल महके हैं तेरी ज़ुल्फ़ का साया बनकर..

मेरी जगी हुई रातों को उसी की है तलाश,
सो रहा है मेरी आँखों में जो सपना बनकर,

दिल के कागज पर उतरा है जो शेरों की तरह
      मेरे होटों पे मचलता है जो नग्मा बनकर.....

कैसे दिल से निकाल दु

कभी कभी दिल उदाश हो जाता है,
जब जब उसका ख्याल आता है..

कैसे भूलू उसको, कैसे दिल से निकाल दु,
कुछ समझ नहीं आता आखिर ये दिल चाहता क्या है...

मर-मर कर जीता रहा मैं (mar mar kar jeeta raha main)

पल पल तन्हाई में तडपता रहा,
तेरी यादों के तुफानो से लड़का रहा,
कोई पूछता तो केहता ठीक हूँ मैं,
कौन जाने कैसे मर-मर कर जीता रहा मैं...




मुझे आशुं देकर मुस्कुरा लेता है (mujhe anshu de kar muskura leta hai)

मुझे दर्द देकर वो चैन पता है,
बिना आग के हि वो मुझे जला देता है,
दर्द नहीं होता मुझे कोई, वो जब
मुझे आशुं देकर मुस्कुरा लेता  है खुद.......

उस माँ को तुम भूल ना जाना (us maa ko tum bhul naa jaana )

खुदा की रेहमत है हमपर जो उनका प्यार मिला,
जन्नत से हसीन कई यादों का उपहार मिला,
क्यूं करें हम उस खुदा से अब कोई सिकवा कोई गीला,
जिसने हमको माँ का प्यार दिलाया जिसको पाकर मैं और तू खिलां..


क्यूं भोल जातें है हम उस माँ को वक्त के साथ साथ,
नहीं रेहता है हमको उनका कोई ख्याल,
क्या  होता होगा उस माँ के दिल का हाल,
जिसने हमारे लिए भुला दिया अपना हर एक ख्वाब...


क्यूं ख्याल नहीं रेहता हमको उनका,
वो तो बस हर पल हमारी याद करती है,
जब भी जाती है किसी मन्दिर या मस्जिद में,
सबसे पहले हमारी सलामती की दुवा करती है.........


क्या बजूद होगा हमारा जो हम उनको भूल  जाएँ,
फिर कभी तन्हाई में हम खुद को हि तडपाएं..,
रोयें हम बेहिंसाब कोई आंशु पोछने ना आये,
खुद को  यूहीं  कोष ते रहे और बस पछताएं...


इसीलिए चाहे कुछ भी हो आगे,
उस माँ को तुम भूल ना जाना,
मौक़ा मिले जब भी कोई तुम्हे,
उस माँ को खुसी दिए जाना,
खुशी हो या गम के बादल,
सदा खुश रहना और मुस्कुराना...........

तडपती है ये साशें हर पल तेरी जुदाई में tadpati hai ye saanshehar pal teri judai mein

तडपती है ये साशें हर पल तेरी जुदाई में,
परेसान है ये दिल हर तरफ़ फैली तन्हाई में,
ना जीने की तम्मना है ना कोई ख्वाबों का बसेरा है,
बेजान बन गया है दिल तेरी रुसवाईं में......
                                                                                                                              

चाँद से की थी गुजारिश हमने (chand se ki thi gujaarish hamne)

चाँद से की थी गुजारिश हमने,
मेरे चाँद से कर मुलाक़ात कभी,

चाँद भी मुस्कुराकर ढल गया,
कहा मत कर मुझे सर्मिन्दा अभी,

तेरा चाँद को देख कर फिर ना मैं कभी चमक पाउँगा,
रौशनी तेरे चाँद की है कुछ अलग, शायद मैं खो जाऊंगा.........
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