"वह कहती है कि मेरा हाथ
हाथो में लेकर सहलाते क्यूँ हो
मै मौन हो जाता हूँ
हाथों को हाथ में पकड़ मुस्कुराता हूँ
कैसे समझाउं, मै कह नहीं पाता
सुबह से चकले बेलन में उलझी
बर्तन चमकाती हथेलियाँ
चौक पेन पकड़ ब्लैक बोर्ड और
कापियां रंगती उंगलियाँ
थक तो जाती होंगी
बच्चों को निवाला खिलाते खिलाते
प्यार से झूठी होती उंगलियाँ
घर की सफाई में
गमलों कि गुड़ाई में
मैली और थकान से भारी होती हथेलियाँ
रात में फिर रसोई में उलझ जाती हैं
मुझे रोटी देते हुए मुस्कराती उंगलियाँ
ये सब निभाते हुए तुम्हारे हाथ थक जाते होंगे
लेकर हाथों में हाथ उसका
मै अपना क़र्ज़ उतारता हूँ
पर शब्दों में यह सब कह नहीं पाता
बस यूँ ही वह पूछती रहती है
और मै हाथों में हाथ लिए मुस्कराता हूँ
बस प्यार और प्यार से सहलाता हूँ"
हाथो में लेकर सहलाते क्यूँ हो
मै मौन हो जाता हूँ
हाथों को हाथ में पकड़ मुस्कुराता हूँ
कैसे समझाउं, मै कह नहीं पाता
सुबह से चकले बेलन में उलझी
बर्तन चमकाती हथेलियाँ
चौक पेन पकड़ ब्लैक बोर्ड और
कापियां रंगती उंगलियाँ
थक तो जाती होंगी
बच्चों को निवाला खिलाते खिलाते
प्यार से झूठी होती उंगलियाँ
घर की सफाई में
गमलों कि गुड़ाई में
मैली और थकान से भारी होती हथेलियाँ
रात में फिर रसोई में उलझ जाती हैं
मुझे रोटी देते हुए मुस्कराती उंगलियाँ
ये सब निभाते हुए तुम्हारे हाथ थक जाते होंगे
लेकर हाथों में हाथ उसका
मै अपना क़र्ज़ उतारता हूँ
पर शब्दों में यह सब कह नहीं पाता
बस यूँ ही वह पूछती रहती है
और मै हाथों में हाथ लिए मुस्कराता हूँ
बस प्यार और प्यार से सहलाता हूँ"