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चलो आज फिर एक ग़लती कर के देखते हैं(chalo aaj phir ek galati kar ke dekhte hai)

चलो आज फिर एक ग़लती कर के देखते हैं
आज फिर उनसे मोहब्बत करके देखते हैं

उनके दिल मैं चाहत है या नही
आज फिर उन से मुलाक़ात करके देखते हैं

भरी महफ़िल मैं उढ़ा दी उंगली मेरी तरफ़
आज उन का हर इल्ज़ाम सह कर भी देखते हैं

कितनी बदल गई है वो मुछसे दूर रह कर
आज उस की महफ़िल मैं जा कर देखते हैं

दुआ से हर चीज़ मिलती है खुदा से
आज फिर तुछे उस खुदा से माँग कर देखते हैं

वो जो इस दिल मैं है पर मेरी नही
आज ये बात इस दिल को समझा कर देखते हैं

चलो आज फिर एक ग़लती कर के देखते हैं

कोई मेरे दिल में रहता है...

जब रात के तनहा लम्हों में,
कोई आहट मुझ से कहती है,

इस दिल में हलचल रहती है,
कोई जुगनू पास से गुजरे तो,

कोई बात गले से निकले तो,
मैं खुद से उलझने लगता हूं,

फिर जाने क्या-क्या कहता हूं,
फिर याद उसी की आती है,

फिर पल दो पल के लम्हें को,
ये सांस मेरी रूक जाती है,

फिर वहम मुझे ये कहता है,
कोई मेरे दिल में रहता है,

कोई मेरे दिल में रहता है.......

अभी बाकीं है(Abhi bakin hai)

न दफनाओ मुझको कि सीने में कुछ साँस अभी बाकीं है
आँखे बंद है मगर दिल में कुछ ख्वाब अभी बाकीं है

मैं कैसे मान लूँ कि तुम मुझे प्यार नही करती
जुबाँ कह चुकी मगर आँखो का एक जवाब अभी बाकीं है

तुम जा रही हो ज़रा कुछ पल और ठहर जाओ
रिश्ता तोड़ने की रस्में, आंसूओ का एक रिवाज़ अभी बाकीं है

सीने में छिपी हर बात को, लब तो कह नही सकते
तुम दिल से सुनो, धडकनों की एक आवाज़ अभी बाकीं है

वो मेरा कत्ल करके टटोलते है मेरी रूहों को
मरने के बाद भी शायद एक और हिसाब अभी बाकीं है

पास आने से आज उनके “ग़ज़ल” सुहानी हो गई (pass aane se aaj unke gazal suhaani ho gai)

होठों से लगाकर पीना, बात कुछ पुरानी हो गई
आँखों से पिला कर देख, आज रुत मस्तानी हो गई

वोह पीते है शराब महेफिल-ऐ-यार जमा कर
हमने चोरी से पिया एक जाम तो बेइमानी हो गई

युंह तो करते है वो हरदम कुछ नई शरारत
हम जो एक बार उनसे रूठे तो नादानी हो गई

वोह करते है इज़हार-ऐ-प्यार इस कदर जहाँ मैं
हमे पता भी न चला और एक कहानी हो गई

उन के खयालो से महेकता है हर-रोज़ यह समां,
पास आने से आज उनके “ग़ज़ल” रूमानी हो गई...

पास आने से आज उनके “ग़ज़ल” सुहानी हो गई (pass aane se aaj unke gazal suhaani ho gai)

होठों से लगाकर पीना, बात कुछ पुरानी हो गई
आँखों से पिला कर देख, आज रुत मस्तानी हो गई

वोह पीते है शराब महेफिल-ऐ-यार जमा कर
हमने चोरी से पिया एक जाम तो बेइमानी हो गई

युंह तो करते है वो हरदम कुछ नई शरारत
हम जो एक बार उनसे रूठे तो नादानी हो गई

वोह करते है इज़हार-ऐ-प्यार इस कदर जहाँ मैं
हमे पता भी न चला और एक कहानी हो गई

उन के खयालो से महेकता है हर-रोज़ यह समां,
पास आने से आज उनके “ग़ज़ल” रूमानी हो गई...
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