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दर्द भरे शायरी



ज़िन्दगी कितनी खुबसूरत होती,
अगर तेरी चाहत अधूरी ना होती,
कुछ उलझाने कुछ मजबूरियां होती बेशक,
मगर प्यार में इतनी दूरियां ना होती…..... 
अपनी आखों के समुंदर मैं उतर जाने  दे 
तेरा  मुजरिम हूँ , मुझे  डूब  के  मर  जाने  दे 
ज़ख़्म  कितने  तेरी  चाहत से  मिले  हैं  मुझको 
सोचता  हूँ  कहूं  तुझसे , मगर जाने  दे …
`
आरज़ू झूठ है ,
आरज़ू का फरेब खाना नहीं. ..
खुश  जो  रहना  हो  ज़िन्दगी  में  तुम्हे ..
दिल  कभी किसी  से लगाना नहीं .
`
एक पल में जो आ कर गुजर  जाए 
यह हवा  का वोह झोका है ..और कुछ नहीं 
प्यार कहती  है  दुनिया  जिसे ,
एक रंगीन धोखा  है  .. और कुछ नहीं ..
`
आस्मां भी बरस रहा है ,
मेरे  अश्को  से  टकरा रहा है ,
किस्मे है जोर ज्यादा शायद यह देख रहा है ,
बरसात तो फिर भी रुक जाएगी,
मेरे अश्को का कोई अंत नहीं ,
दिल में है दर्द इतने जिसका कोई हिसाब नहीं …
`
या खुदा माफ़ करना तेरे इस गुनेहगार बन्दे को ,
जो तुम्हारी  चमत्कार  में दाखिल होता है ,
सिर्फ ये पूछने के लिए आया हु में ,
के क्यूँ हर रात तन्हाई में मेरा दिल रोता है …
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मेरे दर्द-ऐ-दिल की थी वो दास्ताँ
जिसे हँसी में तुमने उड़ा दिया
जिससे बच रहा था मै संभल संभल कर,
वो दर्द आज फ़िर तुमने जगा दिया.
मुझे प्यार का शौक न रहा
मेरे दोस्त भी है सब बेवफा
जो करीब आए तो ज़िक्र हुआ
जो दूर हुए तो भुला दिया.
वो जो मिलते थे कभी रात में
गिले होते थे उनकी हर बात में
न वो दिल रहा न वो दोस्त रहा
मेरे ख़्वाबों को भी सुला दिया.
वो तो कहते थे हर बात में
की हम बसते हैं उनकी याद में
मैं न जान सकूँगा ये कभी
       क्यूँ मुझको दिल से भुला दिया......!!

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जान देके हमने दिल को सँभाला है यहाँ पर
कुछ ऐसे उसकी याद को टाला है यहाँ पर

अब सोचते हैं मौत में ही चैन पायेंगे
कुछ मार ज़िंदगी ने यूँ ड़ाला है यहाँ पर

दम घुट रहा था मेरा अंधेरों में प्यार के
दिल में ग़मों का ही तो उजाला है यहाँ पर

मरने के इंतेज़ार में जीते हैं देखिये
कैसा ग़ज़ब ये खेल निराला है यहाँ पर

बस याद कर रहा हूँ मै जलवा-ए-यार को
बे-बादा मस्तियों को यूं पाला है यहाँ पर

ऐ नाख़ुदा तू साहिलों से दूर रख मुझे
हर शख़्स वहाँ ड़ूबने वाला है यहाँ पर

इतना नहीं था लाल ये रंगेहिना कभी
मसल किसी का दिल कहीं ड़ाला है यहाँ पर

ना चाँद ही ड़ूबा कहीं ना ही हुई है रात
‘ललित’ तेरा ही दिल है जो काला है यहाँ पर

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तुम्हारी याद आने पर आँसू टूट जाते है
उन्हें मैं हथेलियों पर समेट लेता हूँ
और जो अटक जाते हैं होंटों पर
तो मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो !
सुबह-सुबह ठंडी हवा का झोंका 
मुझे चुपके से आकर छूता है
और उसमें जो सबसे तेज़ झोंका हो 
तो मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो !
बिछड़ने के बाद से ही तुम्हारी याद आती है 
तुम्हारी याद में जब मेरा दिल रोता है
रोते-रोते जो ज़ोर की हिचकी आती है
            तो मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो.......!
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कहने को कह गए कई बात ख़ामोशी से
कटते-कटते कट ही गई रात ख़ामोशी से


न शोर-ए-हवा, न आवाज़-ए-बर्क़ कोई
निगाहों में अपनी हर दिन बरसात ख़ामोशी से


शायद तुम्हें ख़बर न हो लेकिन यूँ भी
बयाँ होते हैं कई जज्बात ख़ामोशी से


दिल की दुनिया भी कितनी ख़ामोश दुनिया है
किसी शाम हो गई इक वारदात ख़ामोशी से


माईले-सफर हूँ, बुझा-बुझा तन्हा-तन्हा
पहलू में लिए दर्द की कायनात ख़ामोशी से


मुट्ठी में रेत उठाये चला था जैसे मैं
आहिस्ता-आहिस्ता 
सरकती गई हयात ख़ामोशी से

बेवफाई की क्या दावा है

बेवफाई की क्या दावा है यारो !
कुश किस्मती उसकी जिसकी
मय्यत निकली महबूब की गली  से ….
बदकिस्मती  उसकी जिसकी
महबूब की बारात निकली उसकी गली से 

by :-

पोखरा सिटी की शेर


नेपाल की सैर पर निकलें और पोखरा न जाए तो समझिए आपकी यात्रा अधूरी है। यूं तो पूरा नेपाल ही हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं और तराई में बसा है लेकिन पोखरा का नजारा इससे कुछ अलग है। आसमान छूते पर्वतों के बीच स्थित फेवा झील यहां के मुख्य आकर्षणों में से एक है। झील के तीन तरफ पर्वत है तो एक तरफ मुख्य शहर के बाजार। दरअसल यह बाजार पर्यटकों के लिए ही हैं। बोटिंग करने के लिए यहां विशेष प्रबंध है। छोटी नाव से लेकर पैडल बोट तक सब कुछ है। अपनी सुविधा के अनुसार आप नावों का चयन कर सकते है। करीब एक किलोमीटर चौडी और दो किलोमीटर लंबी इस झील के बीचों बीच एक मंदिर है जो झील की खूबसूरती में चार चांद लगाता है।
बोटिंग का मजा
शांत पानी में बोटिंग का मजा ही कुछ अलग है। ज्यादातर नेपाली महिलाएं ही नावों की खेवनहार है। जो अपने पारंपरिक लिबास में सैलानियों से रू-ब-रू होती हैं। झील की गहराई कहीं-कहीं 60 फुट तक है। औसतन इसकी गहराई 18 फुट तक बताई जाती है। शांत व साफ पानी में झील की गहराई का बखूबी अनुभव भी किया जा सकता है। पर्वतों से घिरी यह झील सैलानियों के आकर्षण का केंद्र तो है ही, साथ ही किसी कविमन की कल्पना को साकार रूप देने में भी सक्षम है। मौसम के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। नवंबर के अंतिम सप्ताह में भी यहां का तापमान दिल्ली के तापमान से मिलता-जुलता है। पोखरा से ही कुछ किलोमीटर दूर सारंग कोट है।
सूर्योदय का अविस्मरणीय अनुभव
सारंग कोट, वह स्थान है जहां से सूर्योदय देखना अपने आपमें एक अविस्मरणीय अनुभव है। यह अनुभव की बात है जो आपकी यादों को कभी तरोताजा करता है तो कभी आपको रोमांच से भर देता है। पर्वतों के बीच से सूर्योदय होने से पूर्व की लालिमा जैसे-जैसे विराट रूप लेती है उसी क्षण पश्चिम दिशा में स्थित बर्फ की चादर ओढे हिमालय की अन्नपूर्णा पर्वत श्रृंखला व फिश टेल देखने में ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी ने पूरे पर्वत की चोटियों को रक्त चंदन का लेप लगा दिया हो। ..और जैसे ही सूरज की पहली किरण सामने स्थित पर्वतों को छूती है तो जो नजारा सामने आता है उसकी कल्पना ही की जा सकती है। ऐसा महसूस होता है जैसे सोना पिघलकर पर्वत के चारों ओर फैल रहा हो। जैसे-जैसे सूरज की किरणें फैलती है उसी के अनुसार पर्वतों का रंग बदलता रहता है।
लालिमायुक्त पर्वत कुछ ही मिनटों में फिर से बर्फ की सफेद चादरों में ढक जाता है। यहां सुबह का तापमान नवंबर के अंतिम सप्ताह में करीब 3 से 4 डिग्री का था। हालांकि पर्वतों पर चढने के कारण ठंड का बहुत ज्यादा अनुभव नहीं हुआ। दिन के समय यहां का तापमान 20 से 22 डिग्री के करीब होता है। यही कारण है कि सूर्योदय से आधा घंटे पूर्व ही यहां सैलानी आ जाते हैं। सागर कोट से सामने की फिश टेल का नजारा काफी सुखदायक होता है।
पोखरा में एक स्थान डेवीफॉल का है। यहां का नजारा भी मन को छू जाता है। हालांकि इस फॉल को देखने का आनंद गुफा के अंदर से आता है। गुफा दो भाग में हैं। प्रथम भाग में शिवजी का मंदिर है और उसके दूसरे भाग से डेवीफॉल साफ नजर आता है। गुफा की लंबाई करीब 100 मीटर है। जुलाई-अगस्त माह में गुफा पानी से भर जाती है। इस कारण यहां घूमने का उपयुक्त समय अक्टूबर से अप्रैल तक है। बारिश होने के साथ ही गुफा में पानी आना शुरू हो जाता है।
सैलानियों के लिए यहां बाजार को काफी सजाया गया है। 8-10 वर्ष पूर्व यहां बिजली नहीं होती थी। लेकिन अब यह बाजार बिल्कुल जगमग है। होटलों, रेस्तराओं में सैलानियों के लिए डिस्को व लोकनृत्य का भी प्रबंध है। बाजार भारतीय व चीनी सामान से अटा पडा है। नेपाली खुखरी लगभग सभी दुकानों पर देखने को मिल जाती है।
छोटे प्लेन से हिमालय दर्शन
काठमांडू, नेपाल की राजधानी, प्राचीन काल व आधुनिक काल दोनों के समागम का मिलता-जुलता रूप है। प्राचीन काल की धरोहरों को जहां काफी सहेज कर रखा गया है, वहीं आधुनिक काल से कदमताल करते मॉल, होटल, रेस्तरां की संख्या भी कम नहीं है।
हिंदुओं का पवित्र स्थल, पशुपति नाथ मंदिर, प्राचीनता की चादर ओढे ऐसा खूबसूरत स्थान है जहां देखने को बहुत कुछ है। पंचमुख महादेव (चार दिशा व ऊपर की ओर) की पूजा के लिए चार गेट है। मंदिर के एक तरफ बागमती नदी है। जहां कई घाट बने हुए है। मंदिर के निर्माण में उपयोग किए गए लाल पत्थर व लकडी पर नक्काशी अलग छटा प्रस्तुत करती है। गुंबद का ऊपरी हिस्सा सोना व शेष भाग चांदी का बना है। कुछ भाग में तांबे का भी उपयोग किया गया है। मंदिर को घूमने में ही डेढ से दो घंटे का समय लग जाता है।
काठमांडू का स्वयं-भू-नाथ स्थान से सूर्यास्त देखने का अलग आनंद आता है। यह स्थान भी व‌र्ल्ड हैरिटेज स्थलों में शामिल है। अन्य स्थानों में से एक वर्गाकार बख्तरपुर दरबार है। नाम के अनुरूप ही यह क्षेत्र वर्गाकार तो है ही साथ ही यहां प्राचीन काल में राजाओं के महल या मकान है, वे भी वर्गाकार है। जमीन से लेकर ऊपरी भाग तक जितनी भी मंजिल है सब वर्गाकार और लकडी के काश्तकारी कार्य से पूर्ण है।
काठमांडू जाए तो यहां के थैमल बाजार को जरूर घूमना चाहिए। यह बाजार आधुनिकीकरण व प्राचीन काल का मिश्रण है। रेस्तराओं व होटलों में आधुनिक समय के डिस्को, पब से लेकर प्राचीन काल में प्रचलित गजल व मुजरा, ऐसा समां बांधता है जो आपको मंत्रमुग्ध करने में सक्षम है।
नागर कोट यात्रा
काठमांडू से करीब 26 किलोमीटर दूर नागर कोट नेपाल के लोगों के लिए हिल स्टेशन है। चूंकि पूरा नेपाल ही एक तरह से हिल पर बसा है। इस हिल स्टेशन के बारे में आसानी से समझा जा सकता है जो नेपाल के लोगों के लिए हिल स्टेशन हो। यहां से सूर्योदय व सूर्यास्त का नजारा देखना असीम आनंद देता है। नागरकोट के जिस स्थान पर आप खडे हो जाए वहीं से इस तरह का नजारा आपको देखने को मिल जाता है। हालांकि नवंबर माह के अंतिम सप्ताह में भी यहां सुबह व शाम की ही ठंड है। हिमालय दर्शन के लिए नेपाल सरकार की तरफ से विशेष व्यवस्था है। प्रत्येक आधे घंटे के अंतराल में माउंटेन व्यू प्लेन उडान लेती है। जो एक घंटे की उडान में हिमालय की आठ पर्वत श्रृंखलाओं अन्नपूर्णा, कंचन जंगा, लहोत्से, मकालू, छो-ओ-यू, धौलागिरी, मानसल पर्वत श्रृंखलाओं का दर्शन कराता है।
इसी तरह का नजारा देखने का आनंद आप पोखरा से अल्ट्रा मंकीलाइडिंग से भी ले सकते हैं। यह एक तरह से टू-सीटर हल्का प्लेन होता है जिसमें कैप्टन व आप होते है। ओपन प्लेन में उडान भरना अपने आप में एक रोमांचकारी अनुभव है। करीब आठ से नौ हजार फुट की ऊंचाई से आप हिमालय दर्शन कर सकते हैं। आधे घंटे की इस उडान में आपको कई तरह के अनुभव मिलते है।
                                        ललित साह 

TOUR OF MALAYSIA


                                                                                                    









                                                                                                                                                                 
मलेशिया बहुत खूबसूरत है और वहां के प्राकृतिक सौंदर्य में विविधता भी है। भारतीयों को वहां जाना खासा पसंद रहा है। अब मलेशिया में एक और जगह भारतीयों को लुभाने के लिए तैयार है- लांगकवी। वहां जाने वाले भारतीय सैलानियों की संख्या में इजाफा भी हो रहा है। लांगकवी एक खूबसूरत द्वीप है। वहां जाने वाले भारतीयों में शॉपिंग करने वालों और प्राकृतिक खूबसूरती निहारने वालों की तो संख्या खासी है ही, उनकी संख्या भी है जो कारोबारी मीटिंग वहां करना मुनासिब समझते हैं।
भारतीयों की संख्या में इजाफा होने की ही वजह से वहां का टूरिस्ट विभाग सेवा क्षेत्र में लगे लोगों- टैक्सी ड्राइवरों, रेस्तरां ऑपरेटरों, शॉपिंग सेंटर कर्मचारियों, आदि के लिए खास हिंदी के कोर्स चला रहा है ताकि वे भारतीय सैलानियों की खिदमत बखूबी कर सकें। भारतीयों के लिए खास टूरिस्ट पैकेज भी लाए जा रहे हैं। इस जगह की पसंद इतनी है कि भारत के एक धनकुबेर ने हाल ही में अपनी शादी तक के लिए इसे चुन लिया था।
99 द्वीपों का समूह
लांगकवी दरअसल अंडमान समुद्र में  99 द्वीपों का एक समूह है। जब समुद्र का पानी उतार पर होता है तो पांच और द्वीप सतह पर आ जाते हैं। यहां के बीच पेनांग के बीचों से होड़ लेते हैं। लांगकवी की केबल कार और यहां का स्काई ब्रिज बेहद अनूठे हैं। स्काई ब्रिज समुद्र तल से 700 मीटर ऊपर है। 125 मीटर लंबा यह पैदल पुल आसमान में तैरता सा है। पुल की चौड़ाई 1.8 मीटर है और दो जगहों पर साढ़े तीन मीटर से ज्यादा चौड़े तिकोनाकार प्लेटफार्म हैं जहां बैठकर सुस्ताया और आासपास का नजारा लिया जा सकता है। जहां पुल है और जहां का नजारा उस पुल से मिलता है, दोनों ही अद्भुत है। मलेशिया की यात्रा में यह न छोड़ने वाला अनुभव होगा।
                                                                    

मलेशिया की शेर


पीली सड़कें। जुगनू से झिलमिल वाहन। आकाश चूमती मीनारें। आंखें चुंधियाते आधुनिकतम मॉल। प्राकृतिक सौन्दर्य। भौतिक सुविधाओं का अंबार। डांस, ड्रीम, डील। रियल और रील। सब तरह की जिंदगी का खास फलसफा। छोटे से देश में सिमटी सपनों की दुनिया यानी विकसित देशों की कतार की ओर बढ़ता मलेशिया।
जी हां! नजरों से ऊंचे शापिंग माल। प्रकृति को नजदीक से निहारने की ललक और परिवार के साथ मनोरंजन की चाह हो तो सपरिवार घूमने के लिए मनोरम स्थल है मलेशिया। जहां आप देख सकते हैं आधुनिकतम विश्व की विकसित झांकी और प्रकृति के अनूठे नजारे एक साथ। यूं तो मलेशिया में घूमने और एन्जॉय करने के लिए कई स्पॉट हैं, लेकिन जैंटिंग हाईलैंड पर परिवार के साथ बीते लम्हें भुलाना आसान नहीं होता। दिल्ली से एयर इंडिया की आरामदायक उड़ान से जब हम क्वालालंपुर में उतरे तो हमने यहां से सीधे जैंटिंग के लिए प्रस्थान किया। क्वालालंपुर से लगभग 51 किमी की यात्रा के बाद जब हम जैंटिंग हाईलैंड पहुंचे तो शाम ढल चुकी थी। मौसम करवट ले रहा था। गुलाबी ठंडक पैर पसार रही थी। शायद इसीलिए पर्यटकों को यहां हल्का स्वेटर या जैकेट लाने की सलाह दी जाती है।
मनोरंजक रिसोर्ट
सतत 24 घंटे वाले मनोरंजक रिसोर्ट के रूप में अपनी पहचान बना चुके जैंटिंग के होटलों में लगभग छह हजार कमरे पर्यटकों का स्वागत करते हैं। अच्छे रेस्टोरेंट की कतारें हैं। शापिंग के साथ ही 24 घंटे खुलने वाले कैसिनों पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं।
हालांकि हर कैसिनों के मुख्य द्वार पर पहांग राज्य के सुल्तान की मुसलमानों को जुआ न खेलने की चेतावनी हर पर्यटक का ध्यान खींचती है। लेकिन खेलने वाले तो रमते ही हैं और दूसरे पर्यटक भी कैसिनों की एक झलक देखने का लोभ संवरण नहीं कर पाते हैं कैसिनों, नाइट क्लब और थियेटर के बाद अगर फैमिली थीम पार्क की बात न करें तो जैंटिंग अधूरा ही रह जाता है। सर्वोत्तम फैमिली एंटरटेनमेंट इसी थीम पार्क में होता है। यहां तीस राइडर हैं। हर एक पर झूलने का अपना आनंद है। टर्बो ड्राप राइडर 185 फीट की ऊंचाई से फ्रीफाल कराता है। इसके साथ ही रोलर थंडर माइन ट्रेन, साइक्लोन और फ्लाइंग ड्रेगन, रोलर कोस्टर और भी बहुत कुछ है यहां। यहां आपके कितने घंटे, कब बीते, मालूम ही नहीं पड़ता। यहां की केबिल कार भी लोगों का ध्यान खींचती है।
क्वालालंपुर
फिर हम जैंटिंग से लौटे क्वालालंपुर की ओर। मलेशिया की राजधानी के.एल. में पहुंचते ही अहसास होता है इसकी योजनाबद्ध बसावट का। हाईवे पर दोनों ओर की हरियाली प्रकृति के सौंदर्य का भी अहसास कराती है। दुनिया की सबसे ऊंची इमारत का गौरव प्राप्त पेट्रोनास ट्विन टावर इसी शहर में है। यह टावर मलेशिया की शान है। हर मलेशियाई को इस पर गर्व है। मलेशियाई लोग ट्विन टावर को जिस तरह से पर्यटकों के सामने पेश करते हैं वह उन भारतीयों के लिए अनुकरणीय है जो हमारे देश की धरोहरों की सुरक्षा, संरक्षा और प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी संभालते हैं।
इसके अलावा यहां के.एल.टावर (मीनारा), मर्डेका स्क्वायर, सुल्तान अब्दुल समद बिल्डिंग, आर्किड और डिबिसकस गार्डन, वर्ड पार्क, बटरफ्लाई पार्क, डीयर पार्क के साथ ही एक्वीरिया भी घूमने और देखने के स्थान हैं। शापिंग के लिए सेंट्रल मार्केट बुकिट बिनतांग के साथ ही विशाल मॉल्स की लंबी श्रृंखला है। सस्ती शापिंग के लिए चाइना मार्केट भी एक स्थान है। लेकिन यहां मोल भाव और संभल कर ही शापिंग करें। नाइट क्लब और पब्स में भी एन्जॉय किया जा सकता है।
तियोमन आईलैंड
मलेशिया में ऐसे भी स्थान हैं जो इन भीड़ और शोरगुल वाले स्थानों से दूर प्रकृति के असली सौंदर्य का बोध कराते हैं। इनमें समुद्र के बीच तियोमन आईलैंड पर लहरों के शोर के बीच अपूर्व शांति का अपना ही मजा है। क्वालालंपुर से जब तियोमन आईलैंड पहुंचे तो अनायास ही मुंह से निकल पड़ा..आ गए किस द्वीप में हम.? समुद्र की लहरों से संगीत जन्म लेता, डूबता और उतराता दिखता है। बरजाया के अत्याधुनिक सुविधाओं वाले समुद्र के किनारे का आनंद तो अकथनीय है। अभी तक तियोमन आईलैंड अमेरिकी और यूरोपीय पर्यटकों के लिए ही मुख्यत: आकर्षण का केंद्र था। लेकिन अब यहां भारतीय पर्यटक भी आकर्षित हो रहे हैं। मलेशिया सरकार ने तियोमन द्वीप समूह को 1995 में मेरीन पार्क घोषित किया था। तभी से इसे सुविधायुक्त किया जा रहा है। वाटर स्पोर्टस के शौकीन लोगों के लिए यह अच्छा स्पाट है। यहां स्पा का भी आनंद लिया जा सकता है। मोटर बोट के जरिए आईलैंड के बीच समुद्र में पहुंच स्नोर्कलिंग का भी अनुभव अविस्मरणीय है। यहां रंगबिरंगी मछलियों को नजदीक से देखना न भूलें।
मौसम
भूमध्य रेखा के निकट समुद्रीय इलाका होने से मलेशिया में पूरे साल एक जैसा मौसम रहता है। यहां का तापमान 21 डिग्री से 32 डिग्री सेल्शियस के बीच रहता है। इसलिए भारतीयों के लिए सरदियों के मौसम में यह सबसे उपयुक्त जगहों में से एक है।
वीजा
मलेशिया भी उन देशों में शामिल है, जहां भारतीयों के लिए वीजा पहले से लेकर जाने की जरूरत नहीं। पर्यटकों को वहां पहुंचते ही वीजा दे दिया जाता है।
मुद्रा
मलेशिया की मुद्रा रिंगित है। एक रिंगित कुल 12.25 भारतीय रुपये के बराबर होता है।
उड़ानें
राजधानी क्वालालंपुर के लिए दिल्ली, चेन्नई आदि शहरों से कई एयरलाइनों की उड़ानें हैं। एयरलाइन व समय के हिसाब से एक व्यक्ति का वापसी किराया 17 हजार से 25 हजार रुपये के बीच है। मजेदार बात यह है कि मलेशिया के कई इलाके अपने पड़ोसी देशों- थाईलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया आदि से रेल व सड़क मार्ग से भी जुड़े हैं। यहां पानी के जहाज से भी जाया जा सकता है।
होटल
मलेशिया में हर तरह के होटल हैं जिनकी बुकिंग इंटरनेट पर आसानी से की जा सकती है।
खास हिदायतें
मलेशिया एक मुस्लिम देश है इसलिए यहां जाने पर कुछ खास बातों का ध्यान रखें। वैसे भी कहीं जाने से पहले वहां के तौर-तरीकों से वाकिफ हो जाना चाहिए:
महिलाओं से हाथ मिलाते हुए सावधान रहें। महिला मुस्लिम हो तो हाथ पहले उसकी तरफ से बढ़ने दें। पहला आपका हाथ बढ़ाना शालीन नहीं माना जाएगा।
मलेशिया में किसी भी घर में जाने से पहले जूते बाहर ही उतारने होते हैं। किसी स्थान, वस्तु या व्यक्ति को इंगित करने के लिए सीधे हाथ की तर्जनी का इस्तेमाल न करें, जैसे हम आम तौर पर करते हैं। वहां इंगित करने का काम अंगूठे से किया जाता है और बाकी उंगलियां मुड़ी रहती हैं।

शराब तो होश में आने ही नहीं देती

ग़म तुम लाते हो ज़िन्दगी में हमारे ,
वो ज़ख्म आने ही नहीं देती,
ख़ुशी को तो एक पल में बिखेर देते हो तुम हमारी,
वो तो ख़ुशी को जाने ही नहीं देती,
होश में ला-ला कर तुम होश उडाती हो हमारे,
वो शराब तो होश में आने ही नहीं देती,


Mera Laung Gavacha

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