मेरे गुनाहों की सजा दो मुझे
ऐसा करो की भुला दो मुझे
निकल दो हमको अपने जिगर से तुम
आँखों से आँसूं बनाकर गिरा दो मुझे
न सर उठा के जी पाए इस जहा में हम
महफिल में रहकर तनहा तनहा से दिखे हम
तन्हाई डसती रहे ताउम्र मुझको
कुछ ऐसी बद्दुआ दे दे मुझे
रातों की नीद चली जाये
दिन का सकूँ छीन जाये
मै मांगू मौत की दुआ
जो जिंदगी में तब्दील हो जाये
जिन राहों में फूल सजाए थे तूने हमारे लिये
भर दो उन राहों को कांटो से चुभने के लिये
इस दिल न पिघलाओ मोम का समझ कर
ऐसा करो की पत्थर बना दो मुझे
जो तू करती बेवफाई मै रंजो गम भुला लेता
कभी सिगरेट लगता लबों पर कभी मै जाम उठा लेता
पर मेरी बेवफाई के लिये मुझे माफ़ मत करना
किसी की चाहत न मिले मुझको ऐसा मेरा हाल करना
जिससे कभी कोई न दे किसी को धोखा प्यार में
डूबती कश्ती को न छोड़े कोई नाखुदा मझधार में
जीते जी मौत का तलबगार बना दे मुझे
ऐसा करो की भुला दो मुझे