इतनी हैरत से न देख मुझे मै तेरा आईना नही बीता हुआ कल हूँ
तू हो जाएगी परेशां गर सोचेगी मेरे बारे में
तू जो आएगी संग मेरे तू खुदबखुद मुझमे फंस जाएगी
मेरी आरजू तेरी जुस्तजू सब खाक हो जाएगी
फिर करेगी तू क्या तू तो हमे निकालने आई थी
और इसमे खुद ही फंस कर रह जाएगी
अब छोड़ तू देखना मुझको जा साथ उसके जो तेरा दर्पण है
मेरा कल भी तुझको समर्पित था और आज भी तुझे अर्पर्ण है
मुझको न समझ तू कमल मै तू कीचड़ में रहता हुआ दलदल हूँ....!