क्या हुआ गर हम अकेले हैं खुदा का साथ तो है,
क्या हुआ गर हम अकेले हैं माँ की दुआ का साथ तो है |
चेतना बन दौड़ता जो रक्त अपनी शिराओं में,
उस पिता की उँगलिओं के स्पर्श का अहसास तो है ।
साथ में है सरज़मीं, आबोहवा भी साथ तो है,
साथ में हैं अग्नि-जल, आसमां भी साथ तो है |
साथ में सूरज भी है ,साथ में है चाँद, तारे,
पंच तत्व से यह निर्मित साँसों का वरदान तो है ।
साथ हैं वैदिक रिचाएँ, साथ पूजा- अर्चनाएँ,
नौ-शक्ति की पूजा करें अरु दीप गंगा में बहाएँ |
शव-शिवं के द्वंद्व से सत्य का परिचय कराएँ,
दिग-दिगन्त में प्रतिध्वनित जो प्रेम का प्रतिभास तो है।