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मलेशिया की शेर


पीली सड़कें। जुगनू से झिलमिल वाहन। आकाश चूमती मीनारें। आंखें चुंधियाते आधुनिकतम मॉल। प्राकृतिक सौन्दर्य। भौतिक सुविधाओं का अंबार। डांस, ड्रीम, डील। रियल और रील। सब तरह की जिंदगी का खास फलसफा। छोटे से देश में सिमटी सपनों की दुनिया यानी विकसित देशों की कतार की ओर बढ़ता मलेशिया।
जी हां! नजरों से ऊंचे शापिंग माल। प्रकृति को नजदीक से निहारने की ललक और परिवार के साथ मनोरंजन की चाह हो तो सपरिवार घूमने के लिए मनोरम स्थल है मलेशिया। जहां आप देख सकते हैं आधुनिकतम विश्व की विकसित झांकी और प्रकृति के अनूठे नजारे एक साथ। यूं तो मलेशिया में घूमने और एन्जॉय करने के लिए कई स्पॉट हैं, लेकिन जैंटिंग हाईलैंड पर परिवार के साथ बीते लम्हें भुलाना आसान नहीं होता। दिल्ली से एयर इंडिया की आरामदायक उड़ान से जब हम क्वालालंपुर में उतरे तो हमने यहां से सीधे जैंटिंग के लिए प्रस्थान किया। क्वालालंपुर से लगभग 51 किमी की यात्रा के बाद जब हम जैंटिंग हाईलैंड पहुंचे तो शाम ढल चुकी थी। मौसम करवट ले रहा था। गुलाबी ठंडक पैर पसार रही थी। शायद इसीलिए पर्यटकों को यहां हल्का स्वेटर या जैकेट लाने की सलाह दी जाती है।
मनोरंजक रिसोर्ट
सतत 24 घंटे वाले मनोरंजक रिसोर्ट के रूप में अपनी पहचान बना चुके जैंटिंग के होटलों में लगभग छह हजार कमरे पर्यटकों का स्वागत करते हैं। अच्छे रेस्टोरेंट की कतारें हैं। शापिंग के साथ ही 24 घंटे खुलने वाले कैसिनों पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं।
हालांकि हर कैसिनों के मुख्य द्वार पर पहांग राज्य के सुल्तान की मुसलमानों को जुआ न खेलने की चेतावनी हर पर्यटक का ध्यान खींचती है। लेकिन खेलने वाले तो रमते ही हैं और दूसरे पर्यटक भी कैसिनों की एक झलक देखने का लोभ संवरण नहीं कर पाते हैं कैसिनों, नाइट क्लब और थियेटर के बाद अगर फैमिली थीम पार्क की बात न करें तो जैंटिंग अधूरा ही रह जाता है। सर्वोत्तम फैमिली एंटरटेनमेंट इसी थीम पार्क में होता है। यहां तीस राइडर हैं। हर एक पर झूलने का अपना आनंद है। टर्बो ड्राप राइडर 185 फीट की ऊंचाई से फ्रीफाल कराता है। इसके साथ ही रोलर थंडर माइन ट्रेन, साइक्लोन और फ्लाइंग ड्रेगन, रोलर कोस्टर और भी बहुत कुछ है यहां। यहां आपके कितने घंटे, कब बीते, मालूम ही नहीं पड़ता। यहां की केबिल कार भी लोगों का ध्यान खींचती है।
क्वालालंपुर
फिर हम जैंटिंग से लौटे क्वालालंपुर की ओर। मलेशिया की राजधानी के.एल. में पहुंचते ही अहसास होता है इसकी योजनाबद्ध बसावट का। हाईवे पर दोनों ओर की हरियाली प्रकृति के सौंदर्य का भी अहसास कराती है। दुनिया की सबसे ऊंची इमारत का गौरव प्राप्त पेट्रोनास ट्विन टावर इसी शहर में है। यह टावर मलेशिया की शान है। हर मलेशियाई को इस पर गर्व है। मलेशियाई लोग ट्विन टावर को जिस तरह से पर्यटकों के सामने पेश करते हैं वह उन भारतीयों के लिए अनुकरणीय है जो हमारे देश की धरोहरों की सुरक्षा, संरक्षा और प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी संभालते हैं।
इसके अलावा यहां के.एल.टावर (मीनारा), मर्डेका स्क्वायर, सुल्तान अब्दुल समद बिल्डिंग, आर्किड और डिबिसकस गार्डन, वर्ड पार्क, बटरफ्लाई पार्क, डीयर पार्क के साथ ही एक्वीरिया भी घूमने और देखने के स्थान हैं। शापिंग के लिए सेंट्रल मार्केट बुकिट बिनतांग के साथ ही विशाल मॉल्स की लंबी श्रृंखला है। सस्ती शापिंग के लिए चाइना मार्केट भी एक स्थान है। लेकिन यहां मोल भाव और संभल कर ही शापिंग करें। नाइट क्लब और पब्स में भी एन्जॉय किया जा सकता है।
तियोमन आईलैंड
मलेशिया में ऐसे भी स्थान हैं जो इन भीड़ और शोरगुल वाले स्थानों से दूर प्रकृति के असली सौंदर्य का बोध कराते हैं। इनमें समुद्र के बीच तियोमन आईलैंड पर लहरों के शोर के बीच अपूर्व शांति का अपना ही मजा है। क्वालालंपुर से जब तियोमन आईलैंड पहुंचे तो अनायास ही मुंह से निकल पड़ा..आ गए किस द्वीप में हम.? समुद्र की लहरों से संगीत जन्म लेता, डूबता और उतराता दिखता है। बरजाया के अत्याधुनिक सुविधाओं वाले समुद्र के किनारे का आनंद तो अकथनीय है। अभी तक तियोमन आईलैंड अमेरिकी और यूरोपीय पर्यटकों के लिए ही मुख्यत: आकर्षण का केंद्र था। लेकिन अब यहां भारतीय पर्यटक भी आकर्षित हो रहे हैं। मलेशिया सरकार ने तियोमन द्वीप समूह को 1995 में मेरीन पार्क घोषित किया था। तभी से इसे सुविधायुक्त किया जा रहा है। वाटर स्पोर्टस के शौकीन लोगों के लिए यह अच्छा स्पाट है। यहां स्पा का भी आनंद लिया जा सकता है। मोटर बोट के जरिए आईलैंड के बीच समुद्र में पहुंच स्नोर्कलिंग का भी अनुभव अविस्मरणीय है। यहां रंगबिरंगी मछलियों को नजदीक से देखना न भूलें।
मौसम
भूमध्य रेखा के निकट समुद्रीय इलाका होने से मलेशिया में पूरे साल एक जैसा मौसम रहता है। यहां का तापमान 21 डिग्री से 32 डिग्री सेल्शियस के बीच रहता है। इसलिए भारतीयों के लिए सरदियों के मौसम में यह सबसे उपयुक्त जगहों में से एक है।
वीजा
मलेशिया भी उन देशों में शामिल है, जहां भारतीयों के लिए वीजा पहले से लेकर जाने की जरूरत नहीं। पर्यटकों को वहां पहुंचते ही वीजा दे दिया जाता है।
मुद्रा
मलेशिया की मुद्रा रिंगित है। एक रिंगित कुल 12.25 भारतीय रुपये के बराबर होता है।
उड़ानें
राजधानी क्वालालंपुर के लिए दिल्ली, चेन्नई आदि शहरों से कई एयरलाइनों की उड़ानें हैं। एयरलाइन व समय के हिसाब से एक व्यक्ति का वापसी किराया 17 हजार से 25 हजार रुपये के बीच है। मजेदार बात यह है कि मलेशिया के कई इलाके अपने पड़ोसी देशों- थाईलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया आदि से रेल व सड़क मार्ग से भी जुड़े हैं। यहां पानी के जहाज से भी जाया जा सकता है।
होटल
मलेशिया में हर तरह के होटल हैं जिनकी बुकिंग इंटरनेट पर आसानी से की जा सकती है।
खास हिदायतें
मलेशिया एक मुस्लिम देश है इसलिए यहां जाने पर कुछ खास बातों का ध्यान रखें। वैसे भी कहीं जाने से पहले वहां के तौर-तरीकों से वाकिफ हो जाना चाहिए:
महिलाओं से हाथ मिलाते हुए सावधान रहें। महिला मुस्लिम हो तो हाथ पहले उसकी तरफ से बढ़ने दें। पहला आपका हाथ बढ़ाना शालीन नहीं माना जाएगा।
मलेशिया में किसी भी घर में जाने से पहले जूते बाहर ही उतारने होते हैं। किसी स्थान, वस्तु या व्यक्ति को इंगित करने के लिए सीधे हाथ की तर्जनी का इस्तेमाल न करें, जैसे हम आम तौर पर करते हैं। वहां इंगित करने का काम अंगूठे से किया जाता है और बाकी उंगलियां मुड़ी रहती हैं।
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