खुदा की रेहमत है हमपर जो उनका प्यार मिला,
जन्नत से हसीन कई यादों का उपहार मिला,क्यूं करें हम उस खुदा से अब कोई सिकवा कोई गीला,
जिसने हमको माँ का प्यार दिलाया जिसको पाकर मैं और तू खिलां..
क्यूं भोल जातें है हम उस माँ को वक्त के साथ साथ,
नहीं रेहता है हमको उनका कोई ख्याल,
क्या होता होगा उस माँ के दिल का हाल,
जिसने हमारे लिए भुला दिया अपना हर एक ख्वाब...
क्यूं ख्याल नहीं रेहता हमको उनका,
वो तो बस हर पल हमारी याद करती है,
जब भी जाती है किसी मन्दिर या मस्जिद में,
सबसे पहले हमारी सलामती की दुवा करती है.........
क्या बजूद होगा हमारा जो हम उनको भूल जाएँ,
फिर कभी तन्हाई में हम खुद को हि तडपाएं..,
रोयें हम बेहिंसाब कोई आंशु पोछने ना आये,
खुद को यूहीं कोष ते रहे और बस पछताएं...
इसीलिए चाहे कुछ भी हो आगे,
उस माँ को तुम भूल ना जाना,
मौक़ा मिले जब भी कोई तुम्हे,
उस माँ को खुसी दिए जाना,
खुशी हो या गम के बादल,
सदा खुश रहना और मुस्कुराना...........