ललित साह
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देखो फिर रात आ गयी
देखो फिर रात आ गयी,
तनहाइयों में वक्त बिताने की रात आ गयी,
हम तो यूं हि बैठे थे सितारों की पनाहों में,
चाँद को देखा तो आप की याद आ गयी..
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