आसमां झुक के धरा से सदा ही कहता ये,
राधा बिन होली कैसी श्याम यही समझाये।
प्रेम के रंग बिना रंग सभी फीके हैं,
जिसको मिल जाए ये वो मालामाल हो जाए ॥
न हो जहां बैर-भाव ऎसे मीत पाएं सब,
दिल में खिलें गुलाब ऎसी प्रीत पा जाए ॥
नाचे मीरा सी कोई, कोई पुजारिन राधा,
और गिरिराज भी घनश्याम स्वयं बन जाए ॥
कृष्ण की बंशी बजे गोपियों की थिरकन हो,
यहीं गोकुल यहीं पे विन्दावन बन जाए ॥
आओ सब मिलकर रंगों में डूब जाएं हम
प्रेम ही प्रेम हो बस प्रेम ही बरसा जाएं
♥♥♥ HAPPY HOLI 2012 ♥♥♥ ♥♥♥ HAPPY HOLI 2012 ♥♥♥