तुम मोहब्बत हो मोहब्बत का कैसे इजहार करूँ मै
तुम खुशबु हो खुशबु को कैसे गिरफ्तार करूँ मै ॥
सांसो में बस गई हो सरगम की तरह जानम
दिल में उतर गयी हो धड़कन की तरह जानम ॥
सांसो की डोर तोड़कर जीवन का सीसे वहिष्कार करूँ मै
धड़कन के शोर से डरकर दिलका कैसे तिरस्कार करूँ मै ॥
तुम खुशबु हो खुशबु को कैसे गिरफ्तार करूँ मै
पलकों पे बस गई हो तुम ख्वाब की तरह ॥
होटों पे सज गयी हो तुम गुलाब की तरह
सपनो को भुलाकर खुमारी का कैसे एतबार करूँ में ॥
रंगीनियों को छोड़कर खुशिया का कैसे व्यापर करूँ मै
तुम खुशबु हो खुशबु को कैसे गिरफ्तार करूँ मै ॥
लबो पे चढ़ गयी हो तुम सुमिरन की तरह
मेरे रोम रोम मै बसी हो तुम सिफ्रण की तरह ॥
पूजा बिना तुम्हारी कैसे संस्कार करूँ मै
तेरी यादो को भूलकर कैसे परिस्कार करूँ मै ॥
तुम खुशबु हो खुशबु को कैसे गिरफ्तार करूँ मै......