किसी को एक पग में सहारा मिल जाता है,
ठहर जा ओ गम के बादल
दोस्ती का वो एक पल हम कैसे भुला देते
इश्क का एस्तेहार
कम्बखत प्यार कैसा है जो अपने प्यार से घबड़ाता है
आज सुबह ना जाने कौन सी सौगात लेकर आई थी ..
सूरज की किरणों ने फिर अपना उजाला फैलाया है .......
कोई इस जहां में नहीं समझ पाया गम में दुबे रोशन को ..
ये वक़्त का दरिया तो समुन्दर से भी गहरा होता है ...
वक़्त ने मुझे आज ये क्या खूब गुल खिलाया है .....