सपने देखना हमारी प्रकृति है ,
हम सभी सपने देखते है,
सोते हुए और जागते हुए भी,
ये सपने ही हमारी जीवन की
सच्चाई है,हम कुछ करने
कुछ बनने का सपना देखते है,
और उस सपने को हकीक़त में
बदलने के लिये अपना सारा
जीवन लगा देते हैं. ये वे सपने
हैं जो हम खुली आँखों से देखते
हैं. बंद आँखों के सपनों पर
हमारा ज़ोर नहीं चलता. हम
बस उन्हें देखते हैं. मंच पर चल
रहें नाटक की तरह जिसके
मुख्य पात्र भी हम खुद हैं. ये
सपने अक्सर हमें परेशान करते
हैं, कि हमने ये देखा तो क्यूँ
देखा...? क्या, मतलब क्या है इस
सपने का.....?