मैं ख्वाब कोई सजाऊ तो किस के लिए
मैं दुनिया अपनी बसाऊ तो किस के लिए,
ख्वाब टूट गई शारे,सजने से पहले
दुनिया उजड गई मेरी बसने से पहले,
मैं राह ऐ-कदम बढाऊ तो किस के लिए
अक्श मेरे थमते नहीं याद में तेरी ,
वो कहती है भूल जा"ललित"
मुझे याद करके हाशिल क्या,
मैं पूछता हूँ मिला मेरी खुशियों का कातिल क्या
मैं खुदा के कहर से उसे बचाऊ तो किस के लिए...!!!
©ललित साह
मैं दुनिया अपनी बसाऊ तो किस के लिए,
ख्वाब टूट गई शारे,सजने से पहले
दुनिया उजड गई मेरी बसने से पहले,
मैं राह ऐ-कदम बढाऊ तो किस के लिए
अक्श मेरे थमते नहीं याद में तेरी ,
वो कहती है भूल जा"ललित"
मुझे याद करके हाशिल क्या,
मैं पूछता हूँ मिला मेरी खुशियों का कातिल क्या
मैं खुदा के कहर से उसे बचाऊ तो किस के लिए...!!!
©ललित साह