ललित साह
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ये दर्द बस हम ही को देते है ....
देता है क्योँ ये दर्द बस हम ही को
क्या समझेंगे वो इन आँखों की नमी को,
लाखो दीवाने हो जिस चाँद के,
वो क्या महशुस करेंगे एक तारा की कमी को.....
©
ललित साह
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