ललित साह
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जाने क्या सोच के लहरों शाहिल से टकराती है
जाने क्या सोच के लहरों शाहिल से टकराती है
और फिर से लौट जाती हैं,
समझ नहीं आता के वो किनारों से बेवफा करती है
या फिर लौट के समन्दर से वफ़ा निभाती हैं !!!
©ललित साह
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