लाखों ज़ख्म खाए हम ने,
अफ़सोस उन्हें हम पर ऐतबार नहीं है,
क्या गुज़रते है दिल पे,
जब तुम कहती हो तुमसे प्यार नहीं है,
जिन्दगी में हम ने कभी कुछ चाहा ही नहि,
जिसे चाहा उसे कभि पाया हि नहि,
जिसे पाया उसे यूहीॅ खो दिया हम ने,
जैसे जिन्दगी मे कभि कोइ आया हि नहि
अब उसकि चाहत में ये नौबत आ गये है कि,
ठनढि हवा भि हमे जला कर चले गया,
कहती है आप यहाँ तडपते हि रेह गये,
मैं तुमहारे सनम को छु कर भि आ गया,
किस कि यादों ने पागल बना रखा है,
कहीं मर ना जाउं मै कफ़न सिला रखा हुं,
जलाने से पहले दिल निकाल लेना,
कहीं वो ना जल जायें जो दिल में छुपा रखा था,
आखों में आंसु आ जाते हैं,
फिर भि लबों पर हंसि रखना परता है,
ये मोहबब्त भि क्या चिज़ है यारों,
जिस से करों उसि से छुपाना पडता हैं,