ललित साह
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हर एक शाम आती है,
हर एक शाम आती है,
तेरी यादों की घटायें
और हर रात बरसती है,
मेरे तन्हाई में,
मेरे महबूब में जी नहीं सकता तेरे बगैर ,
जहर ही जहर भरा है सनम तेरी जुदाई में.....!!
©
ललित साह
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