ललित साह
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कभी फुर्सत में ख्वाब देखते थे
कभी दिन गुजरते थे सालो में
अब तो
बरस दिनों में गुजरते है
कभी फुर्सत में ख्वाब देखते थे
अब तो
बस ख्वाबो में फुर्सत मिलती है
ज़िन्दगी भी कितने रंग बदलती है....
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