ज़िन्दगी में तेरी यादों को भुला दूं कैसे,
रात बाकि है चिरागों को बुझा दूं कैसे,
किस तरह दील में तेरे अपनी तम्मना रख दूं,
ख्वाब अपने तेरी आँखों में सजा दूं कैसे,
आज भी जिन से तेरे लम्स की खुसबू आये,
उन्न खतों को तेरे कहने से जला दूं कैसे,
दिल का हर नक्श है पत्थर की लकीरों जैसा,
अब मिटाना चाहूँ तो मिटा दूं कैसे,
वो मेरे पास है मैं फिर भी हु तनहा-तनहा,
किसी तस्बीर को इन्सान बना दूं कैसे